Delhi Escorts - Taapsee | Delhi Escort Service | Escort in Delhi
Delhi Escorts - Taapsee | Delhi Escort Service | Escort in Delhi
Hello Taapsee Pannu, Independent Escort in Delhi. When people from other countries come here they would of course without a doubt would like to have a partner with them who is more related to the ...
मामी की चूत का अहसान दोस्तो, मेरा नाम योगेश है, मैं बीटेक के तीसरे वर्ष का छात्र हूँ और आगरा का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको मेरी जिंदगी की एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ। बात तब की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था, गर्मी की छुट्टियों में मामा जी ने मुझे अपने पास उदयपुर में कुछ दिन बिताने के लिए बुलाया। मामी जी अजमेर में जॉब करती थीं और मुझे उनको लेते हुए उदयपुर जाना था। मामा जी ने हम दोनों के लिए एसी बस में डबल स्लीपर बुक करवा दिया। मैं घर से रवाना हो गया और बस अजमेर पहुँच गई। मैंने मामी जी का सामान रखवा दिया और वो स्लीपर में आकर लेट गईं, साथ में उनकी एक साल की बेटी भी थी। रात हो चुकी थी और हम सोने लगे। मामी जी ने बेटी को दूध पिलाने के लिए जैसे ही अपनी चूची निकाली.. तो मेरा मन डोलने लगा.. मैं छुप-छुप कर तिरछी निगाहों से उनके बोबे देखता रहा। मेरा मन कर रहा था कि बच्ची को हटा कर खुद चूसने लग जाऊँ.. पर ऐसा मुमकिन नहीं था। रात बढ़ी और ठण्ड भी बढ़ गई। एसी और मामी की जवानी दोनों मेरे शरीर को और ठंडा किए जा रहे थे.. लेकिन लण्ड तो आग उगल रहा था। मैं कुछ देर तक ठिठुरता रहा.. फिर मामी को भी ठण्ड लगने लगी और उन्होंने बस वालों से एक कम्बल ले लिया। मैं भी उसी कम्बल में घुस गया.. फिर भी ठण्ड कम होने का नाम नहीं ले रही थी। गर्मी के दिन होते हुए भी खूब ठण्ड लग रही थी.. मन में गुदगुदी हो रही थी। मैंने मामी से जब ज्यादा ठण्ड होने की बात कही.. तब वो मेरे और करीब आ गई। उनके जिस्म की गर्मी से मेरी ठण्ड कुछ कम हो गई और मामी जी सो गईं। इस सफ़र से पहले मैंने कभी मामी को गलत निगाहों से नहीं देखा था लेकिन आज उनसे चिपक कर सोने से और उनके बोबों को देखने से मेरे अन्दर की वासना जग चुकी थी। मामी सो रही थीं और मैंने मौके का फायदा उठा कर उनके बोबे और चूतड़ सहला लिए और उनको कुछ पता नहीं चला। मैंने मुठ मार कर अपने आपको शांत किया और सो गया.. सुबह हम मामा जी के घर पर पहुँच गए। मामा जी उदयपुर की एक दवाई की कंपनी में काम करते थे। करीब 9 बजे मामा जी कंपनी चले गए और घर पर सिर्फ मामी.. मैं और उनकी एक साल की बेटी थे। मामी घर का पौंछा लगा रही थीं और मैं नहा कर पलंग पर बैठा था। झुक कर पौंछा लगाने की वजह से मामी के बड़े-बड़े बोबे साफ़ दिखाई दे रहे थे। Delhi Independent Escorts मेरा मन उन आमों का रस पीने के लिए बेचैन हो उठा.. पर मैं उनकी नज़र में एक दुबला-पतला शरीफ बच्चा था इसीलिए कोई भी प्रयास करना मैंने सही नहीं समझा और किसी तरह खुद को रोक लिया। कुछ देर में मामी नहाने चली गईं और मैं दरवाजे के की-होल से उनको नहाते हुए देखने लगा। मामी ने अपने कपड़े उतारे और साबुन से रगड़ कर नहाने लगीं। क्या हसीन नज़ारा था.. मुझे उम्मीद नहीं थी कि इस छुट्टियों में मुझे किसी जबरदस्त माल के दर्शन होंगे। उनकी उम्र 27 साल.. गोरा रंग.. दिलकश हसीन चेहरा और उनके मादक जिस्म का उतार-चढ़ाव तो लाजवाब था.. 34-26-34 रहा होगा। उस समय तो इतना मालूम नहीं था.. पर आज याद करता हूँ तो लगता है कुछ इतना ही रहा होगा। शाम को मामा जी आए और हमने खूब मस्ती की.. रात को हम बाहर छत पर बिस्तर नीचे लगा कर सो गए। मैं मामा और मामी के बीच में सोया हुआ था। थोड़ी देर में मामा ने कहा- मच्छरों के कारण उन्हें नींद नहीं आ रही है। और वो अन्दर कमरे में कूलर चला कर सो गए.. कुछ देर में मामी भी सो गईं.. पर मैं उनका नंगा बदन याद करके उत्तेजित हुए जा रहा था। कुछ हिम्मत जुटा कर मैं उनके करीब गया और नींद में होने का नाटक करते हुए उनके बोबों पर अपना हाथ रख दिया। कुछ देर हाथ वैसे ही रखा और फिर हल्का-हल्का दबाना शुरू किया। मैं तो मदहोश हुए जा रहा था लेकिन अचानक मामी उठ गईं और मेरा हाथ उठा कर दूर कर दिया। मुझे बहुत डर लगा कि कहीं उन्होंने मामा से कुछ कह दिया तो बहुत बेइज्जती होगी.. पर सब कुछ ठीक रहा। फिर कुछ दिन मैंने यूँ ही उनके मोटे चूतड़ और बोबे देखते हुए निकाल दिए, शायद उन्हें भी मेरे इरादे समझ आने लगे थे। मेरी छुट्टियाँ खत्म हो गईं और मुझे अपने अधूरे सपने लेकर घर जाना पड़ा। मैं घर पर अक्सर सोते समय मामी की हसीन जवानी को याद करता और इससे मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था और मैं कई बार मामी को सपनों में भी चोद दिया करता था.. जिससे मेरी चड्डी गीली हो जाती थी। दिन यूँ ही बीतते गए और मेरी प्यास और बढ़ने लगी.. लेकिन मैंने पढ़ाई में कभी कोताही नहीं बरती.. इसका परिणाम यह हुआ कि मेरा एडमिशन आईआईटी दिल्ली में हो गया। मेरा पूरे परिवार में नाम हो गया और मैं बहुत खुश था। छुट्टियों में नानीजी के घर सिरसा गया.. वहाँ बड़ों की बातें सुनकर मुझे यह पता चला कि मामी का अजमेर में ऑफिस के किसी आदमी के साथ सम्बन्ध स्थापित हो गया था.. यह सुनते ही मुझे उम्मीद की किरण नज़र आई। मामा जी हर महीने 2-3 बार ही मामी से मिलने अजमेर जाते थे.. शायद इसीलिए सेक्स की प्यास ने मामी को किसी और से चुदवाने को मजबूर किया था। मैं अब दिन-रात मामी की चूत फाड़ने के ख्वाब देखने लगा। कॉलेज में एक साल पलक झपकते ही बीत गया और साल के अंत तक मैंने एक गर्लफ्रेंड भी बना ली.. मैं पिछले 4 महीनों से उसके साथ था। हम दोनों को एक-दूसरे का साथ बहुत पसंद था.. लेकिन वो मुझे अधरों के चुम्बन के अलावा और कुछ नहीं करने देती थी.. वो थोड़ी शर्मीले किस्म की थी। एक लड़की के इतने करीब होकर भी मैं कुछ नहीं कर पा रहा था। हॉस्टल में रहकर मैंने बहुत सारी ब्लू-फिल्में देखीं और अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरीज भी पढ़ीं.. इससे मेरी ठरक और बढ़ गई और मैं अक्सर मुठ मार कर अपनी प्यास बुझाने लगा.. कभी-कभी तो दिन में 2-3 बार मुठ मार लेता था। मैंने अपना खुद का लैपटॉप भी ले लिया था और उसमें खूब सारी ब्लू-फिल्में स्टोर कर लीं। एक साल पूरा हुआ और फिर छुट्टियाँ हो गईं। मैं लैपटॉप लेकर घर चला गया और वहाँ भी छुप-छुप कर ब्लू-फ़िल्में देखता रहा। एक दिन मुझे मामा जी का फ़ोन आया कि उन्हें भी लैपटॉप खरीदना है.. इसलिए वो मेरा लैपटॉप इस्तेमाल करके देखना चाहते थे। वैसे भी पढ़ाई की व्यस्तता के कारण मैं पिछले 3 सालों से उनसे मिल नहीं पाया था तो उन्होंने मुझे अपने पास उदयपुर आने को कहा। मैं तुरंत मान गया और उदयपुर जाने की तैयारी करने लगा। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.. मामा से मिलने से ज्यादा मैं मामी की चूत फाड़ने को बेताब था.. क्यूंकि मामी का ट्रान्सफर भी अब उदयपुर में ही हो गया था। मैं अपना लैपटॉप लेकर मामा के घर पहुँच गया.. वहाँ पहुँच कर मैंने कपड़े आदि बदलने की सोची और मैंने मामी के सामने ही अपनी जीन्स उतार दी.. ताकि उन्हें अंडरवियर में पड़े मेरे मोटे लण्ड का साइज़ पता चल सके। मेरी चाल कुछ हद तक कामयाब भी हुई.. मैंने तिरछी निगाहों से पता चला लिया था कि मामी मेरे लण्ड को निहार रही हैं और क्यों ना देखतीं। मेरा शरीर अब गठीला हो चुका था.. जवानी मुझ पर पूरी तरह छा चुकी थी। मेरी अच्छी कद-काठी निकल आई थी और इससे मेरा आत्मविश्वास भी काफी बढ़ चुका था। रात हो गई और हम सब सो गए.. मुझे अलग कमरे में सुला कर मामा-मामी अपने कमरे में चले गए। रात को जब मैं पेशाब करने के लिए उठा तो उनके कमरे से मामी की सिसकियाँ सुनाई दे रही थीं। ‘आह आह और और… फाड़ डालो.. जोर से डालो… आह आह..’ मैं कान लगा कर सुन रहा था.. इतने में आवाजें आनी बंद हो गईं और फिर कुछ देर में मामी.. मामा को गालियाँ देने लगीं। मामा बोले- इसमें मेरी क्या गलती है.. पिछले एक घंटे से मैं तुम्हारे बदन को गरमी दे रहा हूँ.. फिर भी तेरी प्यास नहीं बुझी..! मामी गालियाँ देती रहीं और मैं चुपचाप आकर अपने कमरे में सो गया और सोचने लगा कि किस तरह मैं मामी को चोदूँ। सुबह हो गई और मामा-मामी दोनों ऑफिस चले गए.. मामी दोपहर में जल्दी आ गईं क्यूंकि वो सरकारी नौकरी में थीं। फिर हमने काफी बातें कीं.. बातों ही बातों में उन्होंने मुझसे पूछ ही लिया- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है या नहीं? मैंने उन्हें बता दिया- हाँ है तो.. पिछले 4 महीनों से मैं एक लड़की को डेट कर रहा हूँ। मुझे थोड़ा अंदाज़ा हो गया कि मामी मुझमें इंटरेस्ट ले रही हैं। फिर मामी की 4 साल की बेटी स्कूल से आ गई और हम दोपहर का खाना खाकर सो गए। शाम के पांच बजे हम लोग उठे और मैं अपना लैपटॉप उठाकर एक इंग्लिश मूवी देखने लगा। मूवी में खूब सारे किस सीन थे.. मामी भी मेरे पास बैठ कर मूवी देखने लगीं। इतने में एक सेक्सी सीन आ गया और मामी ने मुझसे कहा- तू तो बहुत बिगड़ गया है.. कैसी-कैसी फिल्में देखता है। इस पर मैंने कहा- इसमें शर्माने वाली क्या बात है.. ये सब तो चलता है और मेरे पास तो इससे भी अच्छी फिल्में हैं.. मामी बोलीं- अच्छा.. तो दिखाओ.. तुम किन फिल्मों की बात कर रहे हो? मामी की दिलचस्पी देखकर मुझे लगा कि अगर मैं उन्हें ब्लू-फिल्म दिखा दूँ.. तो शायद मेरा काम बन जाए। मैंने एक कुँवारी लड़की वाली ब्लू-फिल्म चालू कर दी.. जैसे ही फिल्म शुरू हुई लड़का-लड़की एक-दूसरे को चूमने लगे और मामी गौर से देखने लगीं। कुछ ही देर में दोनों ने कपड़े उतारना शुरू कर दिए और मामी ने कहा- मुझे शर्म आ रही है.. इसे बंद कर दो.. मैं बोला- मामी क्यों मुझे बेवक़ूफ़ बना रही हो.. तुमने भी तो अपने कॉलेज-टाइम में ऐसी फ़िल्में देखी होंगीं.. तो मामी ने कहा- हमारे जमाने में ऐसे फ़िल्में बड़ी मुश्किल से मिलती थीं.. इसलिए कभी देखने का मौका नहीं मिला। फिर हम दोनों वापस देखने लगे.. लड़की की ‘आहें’ सुनकर और मामी के बड़े बोबे देख कर मैं तो मचल रहा था। मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मामी की साँसें भी तेज हो गई थीं। उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था। चुदाई की इच्छा बढ़ती जा रही थी.. कुछ देर तक देखने के बाद मैं मुठ मारने के लिए बाथरूम चला गया.. जल्दी से मुठ मार कर वापस आ गया.. क्यूंकि मुझे उम्मीद थी कि अकेले में मामी भी अपनी खुजली मिटाने की कोशिश करेगीं। वही हुआ.. मामी को चूत रगड़ते देखकर मुझे जोश आ गया और मैंने जल्दी ही मामी को पीछे से जकड़ लिया और उनकी सलवार में अपना हाथ घुसा दिया, उनकी चूत मसलने लगा.. चूत की गर्मी देखकर ऐसा लगा कि मामी चुदने को बेताब हैं। बस फिर क्या था.. मैंने मामी के बोबे मसलने शुरू कर दिए और मामी मदहोश होने लगीं। उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ कर फिर से अपनी सलवार में डाल लिया.. मामी का जोश देखकर मेरा फिर से खड़ा हो गया। मैंने जोर से मामी की चूत को रगड़ा.. तो वो झड़ गईं। झड़ने के बाद मामी उठकर बाथरूम चली गईं और साफ़ होकर आ गईं। कमरे में आते ही मैंने मामी के होंठों को चूम लिया.. पर मामी ने मुझे हटाते हुए कहा- थोड़ा सब्र करो.. गुड़िया ने देख लिया तो तुम्हारे मामा से कह देगी.. अकेले में जो चाहे कर लेना। मुझे मन मार कर उसकी बात माननी पड़ी और मामी के एक बोबे को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा.. फिर जल्द ही झड़ भी गया। फिर ना जाने मामी को क्या सूझी उन्होंने हँसते हुए मेरा लौड़ा पकड़ लिया और जोर-जोर से मसलने लगीं। मैंने कहा- मामी झड़ जाएगा.. तो वो बोलीं- मैं तो चेक कर रही हूँ कि तू ‘मेरी’ ढंग से ले भी पाएगा या नहीं। यह सुनकर मुझे जोश आ गया और मैं खुद को मजबूत बनाने की कोशिश करने लगा.. मामी दस मिनट तक जोर से रगड़ती रहीं.. पर मेरा माल नहीं निकला। फिर उसने मुँह में लेकर बहुत चूसा.. आह क्या एहसास था.. उनके मुँह की गर्मी और चूसने के स्टाइल ने मुझे मदहोश कर दिया था। लगभग 7-8 मिनट के बाद मेरा माल निकल गया। फिर मैंने मामी के बोबे चूसे.. चूत में ऊँगली डाली और उनको भी झड़ा दिया। मैंने इतने जोश से ऊँगली की थी कि मामी थोड़ी ही देर में ही पानी छोड़ गईं। मामा के आने का और गुड़िया के उठने का वक्त हो चला था.. सो उस दिन चुदाई नहीं की.. लेकिन अगले एक हफ्ते जो मैं वहाँ रहा.. मामी ने जमकर अपनी चूत का रस पिलाया और मैंने भी अपने लौड़े का खूब दम दिखाया.. कभी-कभी तो मामी चुदने के लिए स्कूल से जल्दी वापस आ जाती थीं। आज तक मामी की चूत मारने जैसा मज़ा मुझे कभी और नहीं आया और शायद आए भी नहीं क्योंकि वो मेरा पहली बार था और मामी भी खूब चुदक्कड़ थीं.. अलग-अलग तरीके से चुदवाती थीं। मामी का यह चूत देने का एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भुला पाऊँगा। यह मेरा सच्चा अनुभव है।